RTI जवाब से ब्रम्हदेव सिंह की हत्या को लातेहार पुलिस द्वारा छुपाने की कोशिश का हुआ खुलासा
12 जून 2021 को झारखंड के लातेहार जिले के गारू थाना का पिरी गांव के ब्रम्हदेव सिंह (खरवार जनजाति) समेत कई आदिवासी पुरुष नेम सरहुल (आदिवासी समुदाय का एक त्योहार) मनाने की तैयारी के तहत शिकार के लिए गाँव से निकलकर गनईखाड़ जंगल में घुसे ही थे कि जंगल किनारे से उनपर सुरक्षा बलों ने गोली चलानी शुरू कर दी। उन्होंने हाथ उठाकर चिल्लाया कि वे आम लोग हैं, पार्टी (माओवादी) नहीं हैं, वे गोली न चलाने का अनुरोध करते रहे। लेकिन सुरक्षा बलों ने उनकी एक न सुनी और गोली चलाते रहे। इन लोगों के पास पारंपरिक भरटुआ बंदूक थी, जिसका इस्तेमाल वे ग्रामीण छोटे जानवरों के शिकार के लिए करते हैं। सुरक्षा बलों की ओर से गोलियां चलती रहीं, परिणामत: दिनानाथ सिंह के हाथ में गोली लगी और ब्रम्हदेव सिंह की गोली से मौत हो गयी। इस घटना का सबसे दुखद और लोमहर्षक पहलू यह रहा कि ब्रम्हदेव सिंह को पहली गोली लगने के बाद उसे सुरक्षा बलों द्वारा थोड़ी दूर ले जाकर फिर से गोली मारी गई और उसकी मौत सुनिश्चित की गयी।
इस घटना के बाद इस कांड के दोषियों के खिलाफ कार्यवाई करने की बजाय पुलिस ने मृत ब्रम्हदेव सिंह समेत छः लोगों पर ही विभिन्न धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी (Garu P.S. Case No. 24/2021 dated 13/06/21) दर्ज कर दी। इस प्राथमिकी में पुलिस ने घटना की गलत जानकारी लिखी और पीड़ितों को ही प्रताड़ित किया गया। बता दें कि ब्रम्हदेव सिंह की पत्नी जीरामनी देवी ने अपने पति की हत्या का जिम्मेवार ठहराते हुए सुरक्षा बलों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए 29 जून को गारू थाना में आवेदन दिया। लेकिन जीरामनी देवी की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। बता दें कि उक्त मामले को लेकर झारखंड जनाधिकार महासभा का एक प्रतिनिधि मंडल 17 जून को ग्रामीणों व पीड़ित परिवार से मिलकर घटना की जानकारी ली और अपने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में बताया कि पुलिस की दमनकारी नीति के कारण ब्रह्मदेव सिंह की हत्या हुई है। पुलिस के द्वारा ब्रह्मदेव सिंह को उसके घर के कुछ दूरी पर मारा गया है और पुलिस उसके शव हो टांग कर जंगल की ओर ले गई, ताकि इसे मुठभेड़ का रूप दिया जा सके।
उक्त घटना को लेकर अखिल झारखंड खरवार जनजाति विकास परिषद के केंद्रीय महासचिव लालमोहन सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत गारू थाना से 13 जुलाई को जीरामनी देवी के आवेदन पर की गयी कार्यवाई की जानकारी मांगी थी। द्वितीय अपील के बाद पुलिस ने 11 अक्टूबर को जवाब (संलग्न) दिया। उनके जवाब से स्पष्ट हो गया है कि पुलिस न्यायसंगत कार्यवाई के विपरीत सच्चाई को छुपाने की कोशिश कर रही है। गारू थाना प्रभारी द्वारा RTI जवाब में कहा गया है कि जीरामनी देवी के आवेदन को मामले के अनुसंधानकर्ता पुलिस अधीक्षक, बरवाडीह अंचल को जांच-पड़ताल कर आवश्यक कार्यवाई के लिए दी गयी है। यह गौर करने की बात है कि जीरामनी देवी ने प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया था। प्राथमिकी दर्ज करने की जिम्मेवारी गारू थाना की है और न कि अनुसंधानकर्ता की। यह स्पष्ट है कि पुलिस न्यायसंगत कार्यवाई नहीं कर रही है और दोषी सुरक्षा बलों को बचा रही है।
जवाब में फिर से इस मामले को एक मुठभेड़ कहा गया है जो कि सच्चाई से परे है। साथ ही, पुलिस द्वारा गलत कहानी गढ़ने की कोशिश उजागर होती है। एक तरफ प्राथमिकी में सुरक्षा बलों द्वारा गोलीबारी में ब्रम्हदेव सिंह को गोली लगने का ज़िक्र तक नहीं है और यह लिखा गया है मुठभेड़ के बाद खोजबीन के दौरान मृत ब्रम्हदेव का शव जंगल किनारे मिला। दूसरी ओर RTI जवाब में कहा गया है कि ब्रम्हदेव सिंह की पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु हो गयी। पुलिस द्वारा सच्चाई को छुपाने के लिए अलग-अलग कहानियां गढ़ी जा रही है। अखिल झारखंड खरवार जनजाति विकास परिषद पुलिस के इस रवैये से आक्रोशित है। एक तरफ वरीय पुलिस पदाधिकारी मौखिक रूप से बयान देते हैं कि सुरक्षा बलों द्वारा गलती हुई और पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा व न्याय मिलेगा। दूसरी ओर कागज़ी कार्यवाई में इस बयान से विरुद्ध काम कर रहे हैं। निर्दोष आदिवासियों पर सुरक्षा बलों द्वारा खुलेआम गोलीबारी की गयी, आदिवासी की गोली से हत्या की गयी और अब आदिवासियों को झूठा वादा कर धोखा भी दिया जा रहा है।
अखिल झारखंड खरवार जनजाति विकास परिषद हेमंत सोरेन सरकार को पत्र भेजकर याद दिलाती है कि आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण के नाम पर जनता ने उन्हें चुना। अगर सरकार आदिवासियों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है तो तुरंत इस मामले में निम्न कार्यवाई करे – 1) ब्रम्हदेव सिंह की हत्या के लिए ज़िम्मेवार सुरक्षा बल के जवानों व पदाधिकारियों के विरुद्ध जीरामनी देवी के आवेदन पर तुरंत प्राथमिकी दर्ज की जाए एवं दोषियों पर दंडात्मक कार्यवाई की जाए। 2) पुलिस द्वारा ब्रम्हदेव समेत छः आदिवासियों पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए। 3) गलत बयान व प्राथमिकी दर्ज करने के लिए स्थानीय पुलिस व वरीय पदाधिकारियों पर प्रशासनिक कार्यवाई की जाए। 4) ब्रम्हदेव की पत्नी को कम-से-कम 10 लाख रु मुआवज़ा दिया जाए और उनके बेटे की परवरिश, शिक्षा व रोज़गार की पूरी जिम्मेवारी ली जाए. साथ ही, बाकी पांचो पीड़ितों को पुलिस द्वारा उत्पीड़न के लिए मुआवज़ा दिया जाए।
साभार : जनज्वार .कॉम
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