अब इलाज के नाम पर जमीन नहीं बेच सकेंगे दलित
गौरीगंज (अमेठी)। गंभीर बीमारी के नाम पर दलितों की भूमि का अब बैनामा नहीं हो सकेगा। जमीन बेचने को लेकर लगातार मिल रहे आवेदनों व इससे जुड़ी शिकायतों के बाद शासन ने दलितों की जमीन के बैमाने पर रोक लगा दी है।
बीमारियों के उपचार के लिए उन्हें धनराशि मुहैया कराई जाएगी। इलाज के नाम पर दलित अपनी जमीनें औने-पौने दाम पर बेच रहे थे। सरकार की ओर से मुहैया राशि से दलितों का इलाज डॉ. अंबेडकर मेडिकल स्कीम के तहत होगा। इस संबंध में शासन से जारी आदेश जिला प्रशासन को मिल गया है।
गंभीर बीमारी से ग्रसित गरीबों को उपचार में आर्थिक परेशानी नहीं हो इसके लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पांच लाख रुपये तक मुफ्त उपचार की सुविधा दे रही है। बावजूद इसके गंभीर बीमारी का उपचार कराने के नाम पर आए दिन दलितों की भूमि का बैनामा हो रहा है। दलितों की भूमि विक्रय के लगातार मिल रहे आवेदन और इससे संबंधित शिकायतों के बाद शासन ने सख्त रुख अख्तियार किया है।
दलितों की भूमि का बैनामा नहीं हो इसके लिए आयुष्मान योजना से वंचित दलितों का डॉ. अंबेडकर मेडिकल उपचार योजना से इलाज के लिए आवेदन करने के बाद राशि मिलेगी। इसके लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार की अपर मुख्य सचिव उमपा श्रीवास्वत ने जिला प्रशासन को पत्र भेजकर निर्देश दिया है।
पत्र में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से वंचित दलितों को समाज कल्याण विभाग में ऑफलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद उपचार के लिए निर्धारित राशि अस्पताल के खाते में अंतरित करते हुए मरीजों का उपचार किया जाएगा।
इन बीमारियों के इलाज पर मिलेगी सहायता
समाज कल्याण विभाग के प्रधान सहायक गोकुल प्रसाद जायसवाल ने बताया कि अपर मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र में हृदय रोग के इलाज के लिए 1.25 लाख रुपये, किडनी सर्जरी/डायलसिस के लिए 3.50 लाख रुपये, कैंसर सर्जरी/कीमियोथीरेपी व रेडियोथिरेपी के लिए 1.75 लाख रुपये, किडनी प्रत्यारोपण के लिए 3.50 लाख रुपये, आर्थो सर्जरी के लिए एक लाख तो अन्य बीमारियों के लिए भी एक लाख रुपये की सहायता मिलेगी।
इन अस्पतालों में होगा उपचार
दलितों के उपचार के लिए केंद्र सरकार ने डॉ. अंबेडकर मेडिकल स्कीम में 18 अस्पतालों को अधिकृत किया है। अधिकृत अस्पतालों में एआईआईएमएस दिल्ली, एसजीपीजीआई लखनऊ, पटना मेडिकल कॉलेज, जबलपुर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, कैंसर इंस्टीट्यूट असम, बिरला हाई फाउंडेशन कोलकाता, कलिंगा हॉस्पिटल भुवनेश्वर, टाटा कैंसर रिसर्च सेंटर, निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस हैदराबाद, चेन्नई हेल्थ सेंटर, सीएचएस अधिकृत अस्पताल, स्टेट मेडिकल कॉलेज, राज्य सरकार के सभी अस्पताल व केंद्र सरकार की ओर अधिकृत अस्पतालों में उपचार की सुविधा मिलेगी।
इन जाति के लोगों को मिलेगा लाभ
डॉ. अंबेडकर मेडिकल स्कीम का लाभ अनुसूचित जाति की 72 उपजातियों को तो अनुसूचित जनजाति की सात उपजातियों को मिलेगा। अनुसूचित जाति की उपजाति अगरिया, कंजड़, कपाड़िया, कबड़िया, करवल, कलाबाज, कोरवा, कोरी, कोल, खटिक, खरवार, खरोट, ग्वाल, गौड़, घसिया, धम्मार, चेरो, जाटव, झुसिया, डोम, डोमार, तरमाली, तुरैहा, दबगर, धनगर, धरमी, धुसिया, धानुक, धोबी, नट, पंखा, पतरी, पहरिया, पासी, बैगा, बंगाली, बजनिया, बेडिया, बधिक, बनमानुष, बरवार, बलई, बेलदार, बलहर, बैसवार, बहेलिया, बादी, बाल्मीकि, बावरिया, भुइया, भुइयार, भंतु, मजहबी, मुसहर, रावत, लालबेगी, शिल्पकार, सनोरिया, सहरिया, सांसिया, हरी, हेला व अहेरिया तो अनुसूचित जनजाति की उपजाति जौनसारी, थारु, बोक्सा, भोटिया, राजी व भंगी को शामिल किया गया है।
वार्षिक आय तीन लाख से अधिक न हो
जिला समाज कल्याण अधिकारी आरके शर्मा ने बताया कि अनुसूचित जाति व जनजाति को भारत सरकार की ओर से संचालित डॉ. अंबेडकर मेडिकल स्कीम, डॉ. अंबेडकर नेशनल रिलीफ स्कीम तथा डॉ. अंबेडकर सामाजिक उत्थान स्कीम से लाभान्वित किया जाएगा। सभी योजना का लाभ लेने के बाद ऑफलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद अस्पताल की ओर से तैयार इस्टीमेट के अनुसार निर्धारित राशि अस्पताल के खाते में अंतरित करते हुए उपचार की व्यवस्था की जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए परिवार की वार्षिक आय तीन लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
अनुमति पर लगेगी रोक
एडीएम सुशील प्रताप सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लाभार्थियों की भूमि विक्रय को प्रतिबंधित किया गया है। डॉ. अंबेडकर मेडिकल स्कीम से दलितों के उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित होने के बाद भूमि के बैनामे पर रोक लगाने के लिए अनुमति नहीं देने की व्यवस्था बनाई गई है। सीएमओ को उपचार की रिपोर्ट देते समय इस सुनिश्चित करने को कहा गया है कि दलित परिवार को केंद्र व प्रदेश सरकार की किसी मेडिकल स्कीम से लाभ मिल सकता हो तो उसके उपचार का प्रबंध कर भूमि विक्रय की अनुमति नहीं दी जाएगी।
साभार : अमर उजाला
नोट : यह समाचार मूलरूप से www.amarujala.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !