दलित महिला की कोरोना वैक्सीन लेने के बाद मौत, परिवार ने लगाये गंभीर आरोप
Uttar Pradesh News: केन्द्र की भाजपा सरकार कोरोना के खिलाफ टीकाकरण मोर्चे पर अपनी सफलता के गुणगान करते नहीं थकते। आंकड़ों की मानें तो भारत में विश्व के अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा टीके लगाए जा चुके हैं। लेकिन, भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना वैक्सीन लेने के बाद एक महिला की मौत हो गई। महिला के परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य सुविधा में लापरवाही के चलते हुई मौत के बाद भी सुध लेने कोई नहीं आया। दलित परिवार का दावा है कि महिला की मौत मौहल्ले में टीका लेने के बाद हुई। लेकिन मौत के बाद न तो कोई जांच हुई और न ही प्रशासन की तरफ से कोई अधिकारी बात सुनने को तैयार है।
घटना यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिला गोरखपुर की है। यहां रामजानकी नगर के नकहा संख्या 1 में दलित महिला असर्फी देवी दूसरों के घरों में झाड़ू पोछा करके अपने परिवार का पेट पालती थी। 20 अक्टूबर को मोहल्ले में कोरोना वैक्सीन का कैंप लगा था। असर्फी देवी ने कैम्प में जाकर कोरोना वैक्सीन ली। लेकिन टीका लेने के कुछ घंटों के भीतर ही महिला की तबियत खराब होने लगी। दो दिन बाद, 22 अक्टूबर को असर्फी देवी की मौत हो गई। महिला के मौत के बाद प्रशासन से कोई पूछताछ करने नहीं आया। महिला के मौत के कारण की जांच नहीं की गई और न ही शव का पोस्टमॉर्टम हुआ। अंत में, गरीब दलित परिवार ने महिला का अंतिम संस्कार कर दिया।
अंबेडकर जन मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष सीमा गौतम ने पीड़ित परिवार से बातचीत की। मृत असर्फी देवी अपने परिवार में एकमात्र कमाऊ सदस्य थी। मां की मौत के बाद असर्फी देवी की तीन अविवाहित बेटियों का रो रो कर बुरा हाल है। परिवार वालों का आरोप है कि महिला की मौत स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही के कारण हुई है। वैक्सीन लगाने वालों ने जिम्मेदारी से अपना काम नहीं किया जिसके कारण महिला की मौत हो गई। परिवार वालों का कहना है कि कैम्प में टीकाकरण के दौरान कोई भी जिम्मेदार डॉक्टर या कर्मचारी मौजूद नहीं था। चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी ही वैक्सीन लगा रहे थे जिसके कारण महिला की मौत हो गई। पीड़ित घरवालों ने बताया कि इससे पहले एक और महिला की मौत भी टीका लेने के बाद हो गई थी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसके एक दिन बाद ही असर्फी देवी की मौत भी वैक्सीन लेने के बाद होगया। जिला स्तर के अधिकारी से लेकर विधायक तक को फोन किया गया पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
साभार : जनज्वार
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