आगरा में सफाईकर्मी की मौत पर गरमाई सियासत : मृतक के रिश्तेदारों ने सीएम से लगाई सुरक्षा की गुहार, बोले- 4 दिन तक टॉर्चर किया
आगरा में जगदीशपुरा पुलिस की कस्टडी में जान गंवाने वाले अरुण वाल्मीकि के परिजनों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जयपुर एयरपोर्ट पर मुलाकात की। एनएसयूआई राजस्थान के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दीपक डंडोरिया के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने राजस्थान के भरतपुर में रहने वाले अरुण वाल्मीकि के परिजनों की सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत से गुहार लगाई। इस दौरान भरतपुर के स्थानीय विधायक और राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा भी मौजूद रहे। भरतपुर के प्रभारी मंत्री डॉ महेश जोशी ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पूरे मामले पर रिपोर्ट दी है। जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस मामले को लेकर कांग्रेस आलाकमान के संपर्क में हैं। जल्द ही पार्टी और सरकार के स्तर पर मामले पर एक्शन लिया जा सकता है।
मृतक के 5 परिजनों को भरतपुर से उठाकर ले गई थी आगरा पुलिस
मृतक दलित सफाईकर्मी अरुण वाल्मीकि के परिजन ललित बिश्नारिया ने मुख्यमंत्री को बताया कि आगरा के जगदीशपुरा थाने के मालखाने से 25 लाख रुपए चोरी के शक में सफाईकर्मी अरुण कुमार वाल्मीकि को पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में रखा। उनके साथ ही 5 लोगों को गैर कानूनी रूप से हिरासत में लिया गया। इसके लिए आगरा पुलिस 16 अक्टूबर को आधी रात राजस्थान के भरतपुर पहुंची और रात 2 बजे सोते हुए नई मण्डी निवासी ललित पठानिया और ललित विश्नारिया, अनाया गेट वाल्मीकि कॉलोनी निवासी अनिल, रोहित और आकाश को उठाकर आगरा ले गई। उन्होंने कहा अवैध तरीके से आगरा पुलिस की यह कार्रवाई अपहरण कर बंधक बनाने जैसी थी। इसके बाद अगले 4 दिन तक जमकर उनके साथ मारपीट की गई और अमानवीय बर्ताव किया गया।
चोरी का आरोप लगाकर पुलिस ने की कस्टडी में हत्या
प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि आगरा में अरुण वाल्मीकि की पुलिस कस्टडी में मौत हुई है। राजस्थान में उनके रिश्तेदार ललित बिश्नारिया आए हुए हैं। उनके साथ भी जमकर मारपीट हुई। उन्हें गैर कानूनी रूप से हिरासत में जगदीशपुरा थाना आगरा में रखा गया। पुलिस ने चोरी का आरोप अरुण पर लगाकर उनकी हत्या कर दी। जबकि चोरी के दोषी असली पुलिसकर्मियों और लिप्त लोगों के नाम अरुण उजागर करने वाले थे, इसलिए अपने बचाव के लिए उनकी हत्या कर दी। थाने पर सीसीटीवी कैमरा लगे हुए हैं, उनकी जांच भी नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि अरुण के जिन 5 रिश्तेदारों को अवैध हिरासत में रखा गया,उन्हें छोड़ने के बदले 15 लाख रुपए की रिश्वत भी जगदीशपुरा पुलिस आगरा ने मांगी। लेकिन जब अरुण की मौत हो गई और दलित वाल्मीकि समाज के लोगों ने हंगामा कर दिया, तो पांचों को फौरन छोड़ दिया गया। यदि ये अपराधी थे, तो इन्हें बिना एफआईआर और जांच पड़ताल के कैसे छोड़ दिया गया।
सीएम से मांगा राहत पैकेज
एनएसयूआई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दीपक डंडोरिया ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घटना की पूरी जानकारी दे दी है। किस तरह यूपी पुलिस ने राजस्थान में भरतपुर आकर अवैध रूप से दलित समाज के लोगों को हिरासत में लिया और अवैध रूप से आगरा के जगदीशपुरा थाने में ले जाकर 4 दिन तक 5 लोगों को भारी यातनाएं दी। डंडोरिया ने बताया कि हमने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने, सरकार की ओर से यह केस लड़ने और पीड़ित परिवार को राहत पैकेज देने की मांग की है। जिस पर मुख्यमंत्री ने पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिया है। बतौर डंडोरिया मुख्यमंत्री ने कहा है कि कानूनी राय लेकर और जांच करवाकर आगरा या राजस्थान में सरकार या सामाजिक स्तर पर एफआईआर होगी। इसका मुकदमा भी सरकार लड़ेगी। डंडोरिया ने कहा कि जरूरत पड़ी तो वाल्मीकि समाज यूपी की बीजेपी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा और मूवमेंट भी चलाएगा।
साभार : दैनिक भास्कर
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