डॉ. अंबेडकर की चेतावनी दिलाएगी ‘कांग्रेस’ को वोट: सात राज्यों में अनुसूचित जाति के वोट लेने के लिए ‘एनसीआरबी रिपोर्ट’ का सहारा
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष डॉ. नितिन राउत के नेतृत्व में 21 राज्यों के राष्ट्रीय पदाधिकारियों और राज्य अध्यक्षों ने चुनावी रणनीति तैयार की है। दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित सम्मेलन में भविष्य की कार्य योजना भी साझा की गई। जिन सात राज्यों में विधानसभा और नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं, उसकी तैयारी के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है…
कांग्रेस पार्टी ने 2022 में सात राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी ने अपने चुनावी एजेंडे में डॉ. बीआर अंबेडकर को खासी तव्वजो दी है। चुनावी राज्यों के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अनुसूचित जाति विभाग ‘समता चेतना वर्ष’ कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। इसमें दो बातें रहेंगी। पहली, लोगों को डॉ. अंबेडकर की चेतावनी याद दिलाई जाएगी। दूसरी, जनता के समक्ष राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट रखकर उन्हें ‘अनुसूचित जाति’ के लोगों के साथ हुए अपराधिक मामलों की जानकारी देंगे।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एनसीआरबी रिपोर्ट का डाटा, जिसमें अनुसूचित जातियों के खिलाफ जातीय अत्याचारों में 9.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, वह कांग्रेस पार्टी को चुनावी बढ़त दिला पाएगा, इसमें संदेह है। हालांकि कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति विभाग ने जो चुनावी रणनीति तैयार की है, उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी/आरएसएस सरकार को अनुसूचित जातियों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
बता दें कि एनसीआरबी रिपोर्ट 2020 इसी सप्ताह जारी हुई है। उसके मुताबिक, 2018 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ जो अपराधिक घटनाएं हुई हैं, उनकी संख्या 42,793 थी। इसके अगले साल यह संख्या 45,961 हो गई। पिछले साल, यह आंकड़ा 50,291 पर पहुंच गया। हालांकि रिपोर्ट यह भी बताती है कि बहुत से मामले ऐसे भी रहे हैं, जिनमें पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था, उस कारण वे मामले खत्म कर दिए गए। पिछले साल ऐसे केसों की संख्या 44,338 थी, जबकि 17,113 केस लंबित दिखाए गए हैं। कांग्रेस पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग का कहना है कि अगले वर्ष सात राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में इन मामलों को उठाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में 2018 के दौरान अनुसूचित जातियों के खिलाफ हुई अपराधिक घटनाओं में 11,924 केस दर्ज किए गए थे। साल 2019 में केसों की यह संख्या घटकर 11,829 हो गई। पिछले साल यह संख्या बढ़ गई। ऐसे 12,714 मामले दर्ज किए गए।
2020 में कुल लंबित मामले, दर्ज केस और जिनमें जांच शुरू हुई है, उनकी संख्या 14,179 है। उत्तर प्रदेश में 24 केस ऐसे थे, जिनमें अनुसूचित जातियों के लोगों को सार्वजनिक स्थान पर जाने से रोका गया था। उत्तराखंड में 2018 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ जो अपराधिक घटनाएं हुईं, ऐसे मामलों की संख्या 58 थी। 2019 में 84 और 2020 में वह संख्या 87 हो गई। लंबित मामले, दर्ज केस और जिनमें जांच शुरू हुई है, ऐसे मामले 120 हैं। तीसरा चुनावी राज्य गुजरात है। यहां 2018 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ हुए अपराधों के चलते 1426 केस दर्ज किए गए थे। 2019 में 1416 और 2020 में 1326 केस दर्ज हुए हैं। पंजाब में 2018 के दौरान अनुसूचित जातियों के खिलाफ हुए अपराधों के चलते 168 केस दर्ज किए गए थे। 2019 में 166 और 2020 में 165 मामले दर्ज हुए थे। इसी तरह गोवा में यह संख्या क्रमश: 5, 3 और 2 रही है। हिमाचल प्रदेश में ये मामले 130, 189 व 251 हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष डॉ. नितिन राउत के नेतृत्व में 21 राज्यों के राष्ट्रीय पदाधिकारियों और राज्य अध्यक्षों ने चुनावी रणनीति तैयार की है। दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित सम्मेलन में भविष्य की कार्य योजना भी साझा की गई। जिन सात राज्यों में विधानसभा और नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं, उसकी तैयारी के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। 75वें स्वतंत्रता वर्ष के दौरान पूरे भारत में विभिन्न राष्ट्रीय-राज्य-जिला स्तर पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। इन्हें ‘समता चेतना वर्ष का नाम दिया गया है। लोगों को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की चेतावनियों के बारे में याद दिलाया जाएगा। अनुसूचित जाति विभाग, दलित युवाओं को प्रेरित करने की दिशा में भी काम करेगा। सम्मेलन में भाग लेने वाले पदाधिकारियों का कहना था कि वे सात राज्यों के चुनाव में एनसीआरबी रिपोर्ट की प्रतियां लोगों को देंगे। उन्हें बताया जाएगा कि मोदी सरकार में आएसएस के सहयोग से अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार हो रहा है। कांग्रेस पार्टी के ‘समता चेतना वर्ष’ कार्यक्रम का समापन 15 अगस्त 2022 को होगा।
डॉ. नितिन राउत के अनुसार, एनसीआरबी रिपोर्ट बताती है कि नरेंद्र मोदी/आरएसएस की सरकार के दौरान अनुसूचित जातियों के खिलाफ जातीय अत्याचारों में 9.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट किए गए जाति अत्याचार के मामलों की कुल संख्या बढ़कर 50,291 हो गई है। 2020 में अपराध दर में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह सिर्फ दलितों के साथ ही नहीं, बल्कि भारत में अन्य सभी हाशिए पर जा चुके समूहों के साथ हो रहा है। 2020 में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अत्याचार बढ़कर 8,272 हो गए हैं। सांप्रदायिक दंगों में 2019 की तुलना में 2020 में 96 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। पूरे भारत में कुल 857 सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। 736 जातिगत दंगे और 2188 कृषि दंगा होने के मामले दर्ज किए गए हैं। अनुसूचित जाति विभाग, आने वाले समय में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अन्य विभागों, एवं दूसरे नागरिक समाज संगठनों और नेटवर्क के साथ मिलकर काम करेगा।
कांग्रेस पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि सात राज्यों के चुनाव में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया जाएगा। कांग्रेस पार्टी को इसका फायदा मिलेगा, वजह अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहे हैं। दूसरी तरफ, भाजपा के पदाधिकारियों का कहना है कि अनुसूचित जातियों के लोगों पर होने वाले अपराधों को लेकर पुलिस संवेदनशील है। पुलिस ऐसे मामलों की त्वरित जांच करती है। जांच में अनेक मामलों की पुष्टि नहीं हो पाती। अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोग अपना हित समझते हैं। एनसीआरबी रिपोर्ट में ऐसे मामलों में बड़ा इजाफा देखने को नहीं मिला है। उसमें यह भी देखा जाना चाहिए कि कितने केस खत्म हो जाते हैं। भाजपा का प्रयास है कि इन मामलों को जीरो तक लाया जाए। मोदी सरकार, अनुसूचित जाति एवं जनजातियों की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है।
सौजन्य:By जितेंद्र भारद्वाज, अमर उजाला
नोट : यह समाचार मूलरूप से www.amarujala.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है.