मध्य प्रदेश: न्यायिक हिरासत में आदिवासी की मौत, खरगोन पुलिस अधीक्षक हटाए गए
मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले में बिशन भील नामक व्यक्ति को चार सितंबर को पुलिस ने 11 अन्य लोगों के साथ एक गांव में लूट और डकैती के मामले में गिरफ़्तार किया था. खरगोन उप-जेल में सात सितंबर को उनकी मौत हो गई थी. घटना के बाद सरकार ने सात सितंबर को चार पुलिसकर्मियों और एक जेल अधीक्षक को निलंबित कर दिया था. मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं|
भोपाल: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में न्यायिक हिरासत में 35 वर्षीय एक आदिवासी व्यक्ति की पांच दिन पहले हुई मौत और इसके विरोध में बिस्टान थाने पर भीड़ द्वारा किए गए पथराव की घटना के बाद राज्य सरकार ने रविवार को जिला पुलिस अधीक्षक को हटा दिया. इसके साथ ही मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
बिशन भील नाम के इस व्यक्ति को चार सितंबर को बिस्टान पुलिस ने 11 अन्य लोगों के साथ खरगोन जिले के खेरकुंडी गांव में लूट और डकैती के मामले में गिरफ्तार किया था. उसे खरगोन उप-जेल में रखा गया था, जहां सात सितंबर को तड़के करीब दो बजे उसकी मौत हो गई थी.
उसकी मौत से गुस्साए करीब 100 से अधिक आदिवासियों की भीड़ ने सात सितंबर की सुबह खरगोन जिले के बिस्टान थाने का घेराव कर पथराव किया था, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे और कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे. बिस्टान थाना खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर है.
इस घटना के बाद प्रदेश सरकार ने सात सितंबर की शाम चार पुलिसकर्मियों और एक जेल अधीक्षक को निलंबित कर दिया था. जिन चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है, उनमें एक उपनिरीक्षक, एक प्रधान आरक्षक और दो आरक्षक शामिल हैं.
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को बयान जारी कर कहा, ‘पिछले दिनों खरगोन जिले के बिस्टान में हुई घटना में एक युवक की मृत्यु हो गई थी. हमने पहले ही कुछ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. लेकिन मामले में सही निगरानी न होने के कारण हमने खरगोन पुलिस अधीक्षक (शैलेंद्र सिंह चौहान) को भी हटाने का फैसला लिया है.’
उन्होंने कहा, ‘घटना की न्यायिक जांच हो रही है. न्यायिक जांच के आधार पर जो तथ्य आएंगे, उन तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेंगे. ऐसी हर घटना को हम गंभीरता से लेते हैं.’
इस मामले में प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सीबीआई जांच कराने मांग की है. मृतक के परिजनों का आरोप है कि बिसन की मौत पुलिस प्रताड़ना से हुई.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कांग्रेस ने मांग की कि बिशन भील के परिवार को मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये दिए जाएं. साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी और उसकी मौत के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए.
एक दिन पहले वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो के नेतृत्व में कांग्रेस का एक फैक्ट फाइडिंग टीम मृतक के परिजनों से मिलने गया था.
बैठक के बाद टीम ने आरोप लगाया कि उनकी मौत पुलिस की प्रताड़ना से हुई है. चार दिन पहले बिशन भील को 24 अगस्त को हुई लूट के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. खरगोन सब जेल में भर्ती होने के कुछ घंटों बाद उनकी मौत हो गई.
खरगोन जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया कि बिशन के शरीर पर यातना के कोई निशान नहीं थे. उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम ने स्पष्ट किया है कि उनकी मृत्यु सेप्टीसीमिया के कारण हुए सदमे के कारण हुई, जो पिछले अल्सरेटिव संक्रमण के कारण हुआ था.
हालांकि, उप जेल के निलंबित अधीक्षक ने दावा किया कि बिशन को 7 सितंबर को जेल ले जाने से पहले उनके शरीर पर पहले से ही यातना के घाव थे, जिसके कारण उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया था.
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि सरकार द्वारा पुलिस अधीक्षक को हटाना काफी नहीं है. मुख्यमंत्री और गृहमंत्री नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा दें.
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, ‘खरगोन में आदिवासी युवक की पुलिस पिटाई से हुई मौत के बाद सरकार द्वारा पुलिस अधीक्षक को हटाना नाकाफी है. मुख्यमंत्री और गृहमंत्री नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा दें और पीड़ित परिवार को 1 करोड़ की सहायता दें|
सौजन्य : द वायर
नोट : यह समाचार मूलरूप से http://thewirehindi.com/ में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है|