प्रख्यात शोधकर्ता एवं श्रमिक मुक्ति दल की सह-संस्थापक डॉ गेल ऑम्वेट का निधन
डॉ गेल ऑम्वेट एक अमेरिकी मूल की भारतीय विद्वान थीं, थीं जिन्होंनेन्हों दलित राजनीति, महिला संघर्ष और जाति विरोधी आंदोलन पर खूब काम किया। डॉक्टरेट के शोध कार्य के लिए महात्मा फूले और भारतीय सामाजिक आंदोलनों का अध्य्यन किया था।
पुणेः प्रख्यात शोधकर्ता, लेखक और बहुजन आंदोलन की बौद्धिक आवाजों में से एक डॉ गेल ऑम्वेट का महाराष्ट्रके सांगली स्थित कासेगांव में निधन हो गया। वह 81 वर्ष की थीं।थीं ऑम्वेट एक अमेरिकी मूल की भारतीय विद्वान थीं, थीं जिन्होंनेन्हों दलित राजनीति, महिला संघर्ष और जाति विरोधी आंदोलन पर खूब काम किया। महाराष्ट्र के सांगली स्थित कासेगांव में निधन हो गया। पति और सामाजिक कार्यकर्ता भरत पाटणकर के साथ मिलकर श्रमिक मुक्ति दल की स्थापना की थी। अमेरिका में कॉलेज के दिनों में ऑम्वेट ने युद्ध-विरोधी आंदोलनों में भी हिस्सा लिया था।
प्रख्यात शोधकर्ता एवं श्रमिक मुक्ति दल की सह-संस्थापक डॉ गेल ऑम्वेट का निधन उन्होंने अपने पति और सामाजिक कार्यकर्ता भरत पाटणकर के साथ मिलकर श्रमिक मुक्ति दल की स्थापना की थी। अमेरिका में कॉलेज के दिनों में ऑम्वेट ने युद्ध-विरोधी आंदोलनों में भी हिस्सा लिया था। भारत की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंनेन्हों डॉक्टरेट के शोध कार्य के लिए महात्मा फूले और भारतीय सामाजिक आंदोलनों का अध्य्यन किया था। उनकी थिसिस ‘पश्चिमी भारत में गैर-ब्राह्मण आंदोलन’ पर थी। अमेरिका में बतौर विद्यार्थी, डॉ ऑम्वेट ने युद्ध विरोधी प्रदर्शनों समेत कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। अमेरिका में अपनी स्नातकोत्तर पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौट आईं और उन्होंनेन्हों विभिन्न सामाजिक आंदलनों पर तथा महात्मा फूले के कार्यों पर अपना अध्ययन शुरू किया। अपने डॉक्टरेट शोध (पीएचडी) के दौरान, उन्होंनेन्हों ‘पश्चिमी भारत में गैर-ब्राह्मण आंदोलन’ पर अपनी थीसिस लिखी और दलितों, तों महिलाओं और अन्य वंचित वर्गों के लिए काम करना शुरू कर दिया।
डॉ ऑम्वेट ने अपने कार्यकर्ता पति डॉ भरत पाटनकर के साथ श्रमिक मुक्ति दल की सह-स्थापना की और 1983 में भारतीय नागरिक बन गईं। कार्यकर्ता-शोधकर्ता ने 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं जिनमें “औपनिवेशिक समाज में सांस्कृतिक विद्रोह – पश्चिमी भारत में गैर-ब्राह्मण आंदोलन”, “सीकिंग बेगमपुरा”, “भारत में बौद्ध धर्म”, “डॉ बाबासाहेब आंबेडकर” आदि शामिल हैं। डॉ ऑम्वेट के निधन पर शोक प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि भारत में विभिन्न सामाजिक आंदोलनों, नों संत साहित्य, लोक परंपराओं में उनका योगदान और महिला अधिकारों पर उनके कार्य हमेशा याद किए जाएंगे।
एनसीपी प्रमुख और वरिष्ठ राजनेता शरद पवार ने ट्वीटर पर डॉ. गेल ओमवेट के जाने से भारत ने जाति विरोधी और किसान-महिला अधिकार आंदोलन की एक मजबूत आवाज खो दिया। राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि गेल ओमवेट, एक उत्कृष्ट विद्वान थीं जिन्होंनेन्हों फूले- अम्बेडकरवादी विचारधारा को दुनियाभर में फैलाया।
प्रख्यात शोधकर्ता एवं श्रमिक मुक्ति दल की सह-संस्थापक डॉ गेल ऑम्वेट का निधन खड़गे ने कहा कि डॉ. ऑम्वेट की लिखी पुस्तकें… विरासत के तौर पर आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी… वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर ने ओमवेट को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि फुले- आंबेडकर और महिला मुक्ति आंदोलन के लिए डॉ. ओमवेट ने अपने अंतिम समय तक काम किया। सोशल मीडिया पर भी बहुजन सामाज से जुड़े कई लोगों ने डॉ. ऑम्वेट के निशन पर शोक जताया। भारत में दलितों के उत्थान से जुड़े कार्यक्रमों में डॉ ऑम्वेट की सक्रिय भागीदारी रही। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के साथ बहुजनों के सशक्तिकरण से जुड़े कार्यक्रमों का भी डॉ गेल ओमवेट हिस्सा रहीं थी। भारत में रहने का निर्णय लेने के बाद, सामाजिक कार्यकर्ता इंदुताई पाटनकर के साथ उनके जुड़ाव ने उन्हें देश में महिलाओं के संघर्षों में अध्ययन और भाग लेने के लिए प्रेरित किया। डॉ ऑम्वेट ने 25 से भी ज्यादा किताबें लिखी, जिनमें भारत में बौद्ध धर्म-ब्राह्मणवाद औऱ जातिवाद को चुनौती…understanding caste…seeking begumpura…Dalits and the democratic revolution… We Will Smash the Prison और Cultural Revolt in Colonial Society-The Non Brahmin Movement in Western India… प्रमुख हैं।
सौजन्य: लोकमत न्यूज़
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