Madhya Pradesh News: दलित सरपंच ने बिना इंतजार करते हुए फहरा दिया तिरंगा तो सचिव ने कर दी पिटाई, आरोपों पर जांच शुरू
आज आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देशभर में जश्न मानाया जा रहा है। 1947 में भले ही हम अंग्रेजों के जुल्म से आजाद हो गए थे, लेकिन दलितों को जातिवादियों के जुल्म से इन 75 वर्षों में कभी आजादी नहीं मिली। ऐसा ही मामला छतरपुर जिले से सामने आया है।
हाइलाइट्स
सरपंच का आरोप- दलित होने की वजह से झंडा फहराने के लिए किया था मना
आरोप-झंडा फहराने पर सचिव ने दलित सरपंच सहित पत्नी और बहू के साथ की मारपीट
बड़ी संख्या में ग्रामीण और दलित समुदाय के लोग ओरछा थाना पहुंचे
छतरपुर
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक 15 अगस्त के दिन एक ऐसा मामला सामने आया है, जो दिखाता है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी बुंदेलखंड में दलितों के हालात किस तरह के हैं। छतरपुर जिले के धामची गांव में एक दलित सरपंच को सिर्फ इसलिए मारा गया क्योंकि वह दलित था और उसने सामान्य वर्ग के सचिव का इंतजार ना करते हुए झंडा फहरा दिया।
सचिव के आने से पहले पहरा दिया झंडा तो की पिटाई: सरपंच
सरपंच हन्नु बसोर का आरोप है कि उसी की पंचायत में सचिव के पद पर पदस्थ सुनील तिवारी को 15 अगस्त के दिन उनका झंडा फहराना न गवार गुजरा और उसे जाति सूचक शब्द कहते हुए उसे लात मार दी। सरपंच का आरोप है कि इतना ही नहीं, ‘दबंग’ सचिव ने उनकी पत्नी और बहू के साथ भी मारपीट की।
SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग
घटना के बाद दलित सरपंच, उसकी पत्नी, गांव के कुछ लोगों के साथ थाना ओरछा रोड पहुंचे और आरोपी सचिव सुनील तिवारी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने लगे। फिलहाल बड़ी संख्या में गांव के कुछ लोग और दलित नेता थाने में मौजूद हैं और आरोपी पर एससी एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। मामले को लेकर फिलहाल थाना ओरछा रोड में कार्रवाई चल रही है।
दोनों पक्षों की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत, जांच शुरू
दलित सरंपच की शिकायत पर ओरडा रोड पुलिस स्टेशन सचिव के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। वहीं, दूसरे पक्ष ने भी थाने में दलित सरपंच के खिलाफ शिकायती आवेदन दिया है। पुलिस अधिकारी अभी आरोपों की जांच कर रहे हैं। उसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि पूरा मामला क्या है। वहीं, दलित सरपंच के कपड़े पर मिट्टी के निशान भी लगे हुए थे।
साभार :नवभारत टाइम्स